Friday, February 22, 2008

बा कि कॉफी

जब उत्तर भारत का एक प्रतिनिधि बापू के पास आश्रम में पहुँचा तो उसने एक आलोचक की तरह गाँधी जी से कहा
"आप सभी को तो चाय पीने से रोकते हैं, पर बा तो दिन में दो बार कॉफी पीती हैं, उन्हें क्यों नहीं रोकते?"
गाँधी जी नें उसे उत्तर दिया -
"तुमको मालूम है कि बा ने कितना अधिक त्याग किया है। उसने मेरे लिये समर्पित जीवन जिया है। कितनी ही वस्तुओं और आदतों को छोडा है। अब अगर मैं उसकी इस अंतिम छोटी सी आदत को भी छुडाने की कोशिश करूँ तो मुझसे अधिक निर्दयी कौन होगा!"
युवक चुप होकर चला गया

- अखण्ड ज्योति, अक्टूबर २००७, पृष्ठ